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Thursday, May 6, 2021

बिना तैयारी के दावत बांटने वाले फकैत को लोग भगवान बता रहे

(प्रतीकात्मक तस्वीर)

कोरोना महामारी की दूसरी लहर से जूझते भारत की उम्मीदें टीकाकरण पर टँगी है

केंद्र सरकार ने 18 साल से अधिक उम्र के सभी लोगों के लिए टीकाकरण की अनुमति दे दी है लेकिन मौजूदा हालात में बहुत से लोगों के लिए टीका लगवा पाना मुश्किल हो रहा है.


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 20 अप्रैल को यह घोषणा की थी कि एक मई से 18 साल से अधिक उम्र के लोगों को वैक्सीन लगनी शुरू हो जाएगी. कोरोना महामारी की दूसरी बड़ी लहर से जूझते भारत के लोगों के लिए यह घोषणा राहत भरी थी / लेकिन एक मई आने से पहले ही यह साफ़ दिखने लगा कि इस टीकाकरण अभियान की तैयारी नहीं हो पाई थी.

30 अप्रैल को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने जनता से अपील करते हुए कहा कि वे पहली मई से अस्पतालों के बाहर कतारें न लगाएं क्योंकि वैक्सीन की सप्लाई उपलब्ध नहीं हो पाई है.

हैरानी की बात ये थी कि जहाँ एक तरफ़ दिल्ली सरकार वैक्सीन नहीं ख़रीद पाई, वही 30 अप्रैल की शाम दिल्ली के कुछ प्रमुख निजी अस्पतालों ने यह घोषणा कर दी की उन्हें वैक्सीन का स्टॉक मिल गया है और वे एक मई से 18 साल से अधिक उम्र के लोगों के लिए टीकाकरण शुरू कर रहे हैं.

एक मई की सुबह होते ही दिल्ली के प्रमुख निजी अस्पतालों के बाहर वैक्सीन लगवाने वालों की लंबी क़तारें लग गईं लेकिन दिन के ख़त्म होते होते पूरे देश में 18 से 44 वर्ष के लोगों में से मात्र 84,599 लोगों को पहली डोज़ लग पाई



Tuesday, May 4, 2021

जैसा कि अंदेशा था बंगाल सर्वाधिक तेज संक्रमित वाला राज्य बन गया है

जिम्मेदार कौन है बंगाल के कोरोना संक्रमन विस्फ़ोट औऱ शुरू हुई तबाही का 


चुनाव आयोग या प्रधानमंत्री ?

फ़रवरी के आख़िरी हफ़्ते में जब चुनाव आयोग ने मतदान की तारीख़ों का ऐलान किया था तबतक पश्चिम बंगाल में कोरोना के रोज़ाना 200 से कम पॉज़िटिव मामले आ रहे थे. आख़िरी चरण तक पहुँचते-पहुँचते रोज़ाना आनेवाला ये आँकड़ा क़रीब 900 प्रतिशत बढ़कर 17,500 के ऊपर पहुँच गया हैफ़रवरी के आख़िरी हफ़्ते में जब चुनाव आयोग ने मतदान की तारीख़ों का ऐलान किया, तब पश्चिम बंगाल में कोरोना के रोज़ाना 200 से कम पॉज़िटिव मामले आ रहे थे.

आख़िरी चरण तक पहुँचते-पहुँचते रोज़ाना आनेवाला ये आँकड़ा क़रीब 900 प्रतिशत बढ़कर 17,500 के ऊपर पहुँच गया.


फरवरी 21 को पश्चिम बंगाल में कोरोना पर इतना नियंत्रण हो चुका था कि एक भी व्यक्ति की इससे मौत दर्ज नहीं की गई. ठीक दो महीने बाद, मतगणना के दिन, दो मई 2021 को कोरोना से मरनेवालों की तादाद 100 पार कर गई.



पश्चिम बंगाल में पाँचवे चरण के मतदान से ठीक पहले महाराष्ट्र के कुल 60,000 मामलों का उदाहरण देते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने इंडियन एक्सप्रेस अख़बार को दिए एक साक्षात्कार में कहा था कि बंगाल में 4,000 मामले ही हैं, इसलिए कोरोना संक्रमण को चुनावी रैलियों से जोड़ना ठीक नहीं है.


लेकिन प्रचार और मतदान का वक़्त देखा जाए, तो इस दौरान चुनाव वाले राज्यों, जैसे पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु, में रोज़ाना आए कोरोना मामले महाराष्ट्र जैसे राज्य के मुक़ाबले कहीं तेज़ी से बढ़े. इनमें भी पश्चिम बंगाल की बढ़त दर ज़्यादा

पश्चिम बंगाल के बिगड़ते हालात के लिए जिम्मेदार तय होगी तो निश्चित रुप से आम जनता की भी भागेदारी है जो इस महामारी में भीड़ बनने को तैयार हुए


चुनाव प्रचार के दौरान हज़ारों की भीड़ वाली रैलियाँ और रोड शो किए गए. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पश्चिम बंगाल में 18 रैलियाँ की, गृह मंत्री अमित शाह ने 30 BJP अध्यक्ष जेपी नड्डा ने 30 सभा रैली रोड शो किया


इनमें 'दो गज़ की दूरी' बनाए रखना नामुमकिन था / ज़्यादातर लोगों ने मास्क भी नहीं पहने थे


वेस्ट बंगाल डॉक्टर्स फ़ोरम ने मार्च से ही चुनाव आयोग और राज्य सरकार को चिट्ठी लिखकर चेताया था कि अगर नियमों को सख़्ती से लागू नहीं किया गया, तो संक्रमण तेज़ी से फैलने का ख़तरा है.


फ़ोरम के संस्थापक-सचिव डॉ. कौशिक चाकी ने बीबीसी से बातचीत में कहा, "ग्रामीण या छोटे शहरों में रहनेवालों के बीच स्टार प्रचारक, देश के प्रधानमंत्री और राज्य की मुख्यमंत्री आकर वोट मांगेगीं, तो वो सुनने बाहर आएँगे ही, लेकिन ये चुनाव आयोग को देखना था कि वो अपने निर्देशों का पालन लोगों और राजनीतिक पार्टियों से कैसे करवाएगी

'इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ हाइजीन एंड पब्लिक हेल्थ' की निदेशक डॉ. मधुमिता डोबे कहती हैं कि हर रैली से संक्रमण उतना ही हुआ हो, ये ज़रूरी नहीं, लेकिन जानकारी के अभाव में सिर्फ़ आकलन ही लगाया जा सकता है.


डॉ. डोबे के मुताबिक़, "जबतक रैलियों से लौटने वाले लोगों का टेस्ट ना किया जाए, दावे के साथ कुछ कहना मुश्किल है, हो सकता है कोई एक रैली 'सुपर-स्प्रेडर' बन गई हो और संक्रमण उन लोगों में तेज़ी से फैला हो, लेकिन ग्रामीण इलाक़ों में टेस्टिंग की दर और कम सुविधाओं के चलते हमें पूरा अनुमान शायद ही जल्दी से मिल पाएगा."

Wednesday, April 14, 2021

गरीबों से लूट में नम्ब 01 पर सबसे अव्वल साबित हुई स्टेट बैंक ऑफ इंडिया

   

भारतीय स्टेट बैंक (SBI) सहित अन्य बैंकों द्वारा गरीबों के खून लगातार चूसे जाने का मामला सामने आ रहा जी हां विभिन्न विभिन्न बैंकों में गरीबों का जीरो बैलेंस पर अकाउंट खुलवाने वाले महान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार की “गरीब मुक्त भारत” बनाने के सोच का नतीजा है 

0 बैलेंस वाले खातों में कुछ सेवाओं के लिए अत्यधिक शुल्क की वसूली की जा रही है एसबीआई में बीएसबीडीए खाताधारकों पर 4 ट्रांजेक्शन के बाद प्रत्येक निकासी लेनदेन पर ₹17.70 का शुल्क भुगतान में लिया जा रहा , यह खुलासा आईआईटी मुंबई के द्वारा किए गए एक अध्ययन से सामने आया है /


रिपोर्ट में बताया गया है कि 2015 से 2020 के बीच SBI में 12 करोड़ बीएसबीडी खाता धारक थे / खाताधारकों पर सर्विस टेक्स्ट लगाकर तकरीबन 300 करोड़ रुपए से अधिक रुपये जमा किये हैं देश का सबसे बड़ा दूसरा सरकारी बैंक पंजाब नेशनल बैंक के बीएसबीडी खातों की संख्या 3 9 करोड़ है बैंक में इस अवधि में 9.9 करोड़ जुटाए हैं

आईआईटी मुंबई के प्रोफ़ेसर आशीष दास ने बताया कि इसके जरिए एसबीआई ने प्रधानमंत्री जनधन योजना के तहत अपने कर्तव्यों का घोर उल्लंघन किया है और छोटे खाताधारक जो गरीब हैं मजदूर हैं किसी तरह जिंदगी बसर कर थोड़े से पैसे बचत खाता में रखते है. यहां तक कि NEAFT , IMPS , यूपीआई , भीम यूपीआई , डेबिट कार्ड जैसे लेनदेन पर भी 17.70 शुल्क वसूला जा रहा है 

एक तरफ देश के प्रधानमंत्री डिजिटल इंडिया का प्रचार करते हैं वहीं दूसरी तरफ बैंक इतना सरचार्ज लगा कर लूट रहा 

IIT बॉम्बे ने कहा कि RBI में शिकायत किया गया पर कोई परिणाम नही निकला ,जबकि RBI के तय मापदंड एवं कानून के तहत बैंकों द्वारा वसूली जा रही रकम पुर्णतः अनैतिक अमानवीय असंवैधानिक है पर इतने के बाद भी रिजर्व बैंक बैंकों के द्वारा हो रही लूट पर चुप है 

क्या राजीव दीक्षित की मौत रामदेव प्रायोजित हत्या थी ❓

  राजीव दीक्षित की मृत्यु हत्या थी या हार्ट अटैक ?निरुत्तर है यह सवाल ❗❗ राजीव दीक्षित एक ऐसा नाम जिसने रामदेव को कई चीजों से साक्षात्कार कर...