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Tuesday, May 4, 2021

जैसा कि अंदेशा था बंगाल सर्वाधिक तेज संक्रमित वाला राज्य बन गया है

जिम्मेदार कौन है बंगाल के कोरोना संक्रमन विस्फ़ोट औऱ शुरू हुई तबाही का 


चुनाव आयोग या प्रधानमंत्री ?

फ़रवरी के आख़िरी हफ़्ते में जब चुनाव आयोग ने मतदान की तारीख़ों का ऐलान किया था तबतक पश्चिम बंगाल में कोरोना के रोज़ाना 200 से कम पॉज़िटिव मामले आ रहे थे. आख़िरी चरण तक पहुँचते-पहुँचते रोज़ाना आनेवाला ये आँकड़ा क़रीब 900 प्रतिशत बढ़कर 17,500 के ऊपर पहुँच गया हैफ़रवरी के आख़िरी हफ़्ते में जब चुनाव आयोग ने मतदान की तारीख़ों का ऐलान किया, तब पश्चिम बंगाल में कोरोना के रोज़ाना 200 से कम पॉज़िटिव मामले आ रहे थे.

आख़िरी चरण तक पहुँचते-पहुँचते रोज़ाना आनेवाला ये आँकड़ा क़रीब 900 प्रतिशत बढ़कर 17,500 के ऊपर पहुँच गया.


फरवरी 21 को पश्चिम बंगाल में कोरोना पर इतना नियंत्रण हो चुका था कि एक भी व्यक्ति की इससे मौत दर्ज नहीं की गई. ठीक दो महीने बाद, मतगणना के दिन, दो मई 2021 को कोरोना से मरनेवालों की तादाद 100 पार कर गई.



पश्चिम बंगाल में पाँचवे चरण के मतदान से ठीक पहले महाराष्ट्र के कुल 60,000 मामलों का उदाहरण देते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने इंडियन एक्सप्रेस अख़बार को दिए एक साक्षात्कार में कहा था कि बंगाल में 4,000 मामले ही हैं, इसलिए कोरोना संक्रमण को चुनावी रैलियों से जोड़ना ठीक नहीं है.


लेकिन प्रचार और मतदान का वक़्त देखा जाए, तो इस दौरान चुनाव वाले राज्यों, जैसे पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु, में रोज़ाना आए कोरोना मामले महाराष्ट्र जैसे राज्य के मुक़ाबले कहीं तेज़ी से बढ़े. इनमें भी पश्चिम बंगाल की बढ़त दर ज़्यादा

पश्चिम बंगाल के बिगड़ते हालात के लिए जिम्मेदार तय होगी तो निश्चित रुप से आम जनता की भी भागेदारी है जो इस महामारी में भीड़ बनने को तैयार हुए


चुनाव प्रचार के दौरान हज़ारों की भीड़ वाली रैलियाँ और रोड शो किए गए. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पश्चिम बंगाल में 18 रैलियाँ की, गृह मंत्री अमित शाह ने 30 BJP अध्यक्ष जेपी नड्डा ने 30 सभा रैली रोड शो किया


इनमें 'दो गज़ की दूरी' बनाए रखना नामुमकिन था / ज़्यादातर लोगों ने मास्क भी नहीं पहने थे


वेस्ट बंगाल डॉक्टर्स फ़ोरम ने मार्च से ही चुनाव आयोग और राज्य सरकार को चिट्ठी लिखकर चेताया था कि अगर नियमों को सख़्ती से लागू नहीं किया गया, तो संक्रमण तेज़ी से फैलने का ख़तरा है.


फ़ोरम के संस्थापक-सचिव डॉ. कौशिक चाकी ने बीबीसी से बातचीत में कहा, "ग्रामीण या छोटे शहरों में रहनेवालों के बीच स्टार प्रचारक, देश के प्रधानमंत्री और राज्य की मुख्यमंत्री आकर वोट मांगेगीं, तो वो सुनने बाहर आएँगे ही, लेकिन ये चुनाव आयोग को देखना था कि वो अपने निर्देशों का पालन लोगों और राजनीतिक पार्टियों से कैसे करवाएगी

'इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ हाइजीन एंड पब्लिक हेल्थ' की निदेशक डॉ. मधुमिता डोबे कहती हैं कि हर रैली से संक्रमण उतना ही हुआ हो, ये ज़रूरी नहीं, लेकिन जानकारी के अभाव में सिर्फ़ आकलन ही लगाया जा सकता है.


डॉ. डोबे के मुताबिक़, "जबतक रैलियों से लौटने वाले लोगों का टेस्ट ना किया जाए, दावे के साथ कुछ कहना मुश्किल है, हो सकता है कोई एक रैली 'सुपर-स्प्रेडर' बन गई हो और संक्रमण उन लोगों में तेज़ी से फैला हो, लेकिन ग्रामीण इलाक़ों में टेस्टिंग की दर और कम सुविधाओं के चलते हमें पूरा अनुमान शायद ही जल्दी से मिल पाएगा."

Wednesday, April 14, 2021

बेलगाम अपराध सामुहिक नरसंहार सामूहिक बलात्कार और भ्रष्टाचार फिर बिहार की पहचान बन गई














Sunday, April 11, 2021


अमेरिकी नौसेना ने अप्रत्याशित कदम उठाते हुए भारत की पूर्वानुमति के बिना बीते बुधवार को लक्षद्वीप द्वीपसमूह के निकट भारतीय जलक्षेत्र में नौपरिवहन स्वतंत्रता अभियान शुरू कर दिया. अमेरिका ने कहा है कि उन्होंने भारत की ‘अत्यधिक समुद्री दावों’ को चुनौती देने के लिए ऐसा किया है. हैरानी की बात ये है कि अमेरिका ने सार्वजनिक तौर पर स्वीकार किया है कि उसके जहाज भारत के जलीय क्षेत्र में बिना इजाजत के घुसे हैं. अमेरिकी नौसेना की सातवीं फ्लीट के कमांडर की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि मिसाइल नाशक यूएसएस जॉन पॉल जोन्स के जरिये सात अप्रैल को यह अभियान शुरू किया गया. बयान में कहा गया है, ‘सात अप्रैल, 2021 को यूएसएस जॉन पॉल जोन्स (डीडीजी 53) ने भारत की अनुमति के बिना, अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुरूप उसके विशेष आर्थिक क्षेत्र लक्षद्वीप द्वीपसमूह के पश्चिम से लगभग 130 समुद्री मील दूर नौपरिवहन अधिकार एवं स्वतंत्रता अभियान शुरू किया.’ भारत के विशेष आर्थिक क्षेत्र (ईईजेड) या उपमहाद्वीपीय इलाके में सैन्य अभ्यास या अभियान के लिये उससे पूर्वानुमति लेनी होती है. 



बयान में दावा किया गया है कि यह अभियान अंतरराष्ट्रीय कानूनों के अनुरूप शुरू किया गया है. बयान के अनुसार इस नौपरिवहन स्वतंत्रता अभियान ने भारत के ‘अत्यधिक समुद्री दावों’ को चुनौती देते हुए अंतरराष्ट्रीय कानूनों के तहत अधिकारों की स्वतंत्रता और समुद्र के विधि सम्मत उपयोग को बरकरार रखा है. बयान के अनुसार, अमेरिकी बल भारत-प्रशांत क्षेत्र में दैनिक अधार पर गतिविधियां करते हैं. सभी अभियानों को अंतरराष्ट्रीय कानूनों के अनुसार अंजाम दिया जाता है. साथ ही यह स्पष्ट किया जाता है कि अमेरिका अंतरराष्ट्रीय कानूनों के अनुसार जहां चाहें वहां हवाई, समुद्री और अन्य गतिविधियों को अंजाम दे सकता है. बयान में कहा गया है, ‘हम नियमित रूप से नौपरिवहन स्वतंत्रता अभियान का आयोजन करते हैं. हम अतीत में भी ऐसा कर चुके हैं और भविष्य में भी करते रहेंगे. नौपरिवहन स्वतंत्रता अभियान केवल एक देश के लिए नहीं होते.’ इस संबंध में भारत की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है और न ही इस बात की जानकारी दी गई है कि क्या भारतीय सेना में अमेरिकी जहाजों को चुनौती दी थी या नहीं. जब भारत ने वर्ष 1995 में यूएन कन्वेंशन ऑफ द लॉ ऑफ सी (यूएनसीएलओएस) को मंजूरी प्रदान की थी, तो उसने घोषणा की थी कि कन्वेंशन के प्रावधान अन्य देशों को विशेष आर्थिक क्षेत्र या उपमहाद्वीपीय इलाके में तटीय देश की मंजूरी के बिना सैन्य अभ्यास या अभियान के लिए मंजूरी प्रदान नहीं करते हैं. 





क्या राजीव दीक्षित की मौत रामदेव प्रायोजित हत्या थी ❓

  राजीव दीक्षित की मृत्यु हत्या थी या हार्ट अटैक ?निरुत्तर है यह सवाल ❗❗ राजीव दीक्षित एक ऐसा नाम जिसने रामदेव को कई चीजों से साक्षात्कार कर...