राजीव दीक्षित की मृत्यु हत्या थी या हार्ट अटैक ?निरुत्तर है यह सवाल ❗❗
राजीव दीक्षित एक ऐसा नाम जिसने रामदेव को कई चीजों से साक्षात्कार कराया जैसे ब्लैक मनी स्वदेशी अभियान
राजीव दीक्षित के ही कारण भारत स्वाभिमान ट्रस्ट की नींव पड़ी और यह विचारधारा राजीव दीक्षित की ही थी जिसे लेकर रामदेव ने पतंजलि को “पतितंजलि” बनाया और स्वयं योग गुरु रामदेव तुरंत लाला रामदेव बन गए
दर्शनशास्त्र के ज्ञाता राजीव दीक्षित जी जो एक शोधक अद्वितीय विद्वान अच्छे व्याख्याता वक्ता आयुर्वेद और प्राचीन संस्कृति के प्रचारक थे
अगर वो जिंदा रहते तो अब तक भारत में स्वदेशी और आयुर्वेद का शायद सबसे बड़ा ब्रांड बन चुके होते
कहा जाता है कि शुरुआत में इस शख्स को रामदेव अपने प्रतिद्वंद्वी के तौर पर देखता था लेकिन बाद में रामदेव ने अपनी रणनीति बदली औऱ राजीव दीक्षित को मित्र बनाकर पतंजलि के लिए पूरा इस्तेमाल किया और फिर रामदेव , राम भरत औऱ बालकृष्ण ने मिलकर राजीव दीक्षित को अपने रास्ते से हटा दिया
देश भर में घूम-घूम कर देशवासियों में स्वदेशी वस्तुओं के उपयोग के प्रति अलख जगाने वाले स्वदेशी प्रचारक राजीव दीक्षित ने विदेशी हटाओ स्वदेशी आपनाओ का नारा दिया था
जिसके बाद योग गुरु रामदेव के साथ भारत स्वाभिमान ट्रस्ट बनाया जिसके जरिये लाखों लोगों तक स्वदेशी अपनाने का सन्देश पहुंचने में कामयाब रहे
पतंजलि आयुर्वेद एवं भारत स्वाभिमान ट्रस्ट की स्थापना राजीव दीक्षित की ही सोच थी / इस के निर्माण समय से जुड़े कई प्रमुख लोग बताते हैं की पतंजलि की सफलता का परचम लहराने की पटकथा राजीव दीक्षित की ही थी
घटना का व्योरा
👉 दीक्षित 29 नवंबर 2010 को स्वदेशी उत्पादों के प्रचार के लिए दुर्ग जिले के बेमेतरा में स्वदेशी उत्पादों पर व्याख्यान दिया उसके बाद वह व्याख्यान देने भिलाई जा रहे थे
रस्ते में ही उन्हें बेचैनी होने लगी अनना फानन में सेक्टर 9 स्थित अस्पताल ले जाया गया
हालत में सुधार नहीं होता देख अपोले BSR अस्पताल रेफर कर दिया गया जहां देर रात (1 बजे) उनकी मौत हो गई थी
मौत के बाद आपके शरीर को विमान से सीधे हरिद्वार भिजवा दिया गया औऱ तभी से सवाल खड़े होने लगे की अस्वाभाविक मौत के बाद पोस्टमार्टम क्यों नहीं कराया गया जबकि राजीव दीक्षित के लाश को देखकर प्रथम दृष्टया ही ऐसा लगता था जैसे उनकी मौत जहर देकर हुई हो
जानकारों के अनुसार पोस्मार्टम से ही मौत की असली वजहों का सही अनुमान लगाया जा सकता था बावजूद इसके राजीव दीक्षित जैसे प्रचारक जिन्होंने न जाने कितनी मल्टीनैशनल कम्पनियों की भद्द पीट दी थी और बड़े बड़े उद्योगपति से दुश्मनी मोल ले रखी थी उस आदमी के मौत के बाद भी पोस्टमार्टम को तबज्जो नहीं दिया जाना बड़ा सवाल था ❓
मौत के बाद शव के अंतिम दर्शन करने वाले लोग कहते हैं कि मौत के बाद राजीव दिखित का चेहरा और होंठ नील दिखाई पड़ रहे थे। अमूमन ऐसा तभी होता है जब मौत जहर से होती है
Youtube 👉 https://youtu.be/I7kpQ8J5OQo
एक बार फिर से मौत की वजह तलाशने की कोशिश के लिए परिजनों एवं राजीव दीक्षित के शुभेच्छुओं का प्रयास जारी है
लोगों के लगातार मांगों के बीच 2019 लोकसभा चुनाव के बाद एक बार चर्चा में आई थी की PMO के आदेश पर फिर से राजीव दीक्षित के मौत की फाइल खुलने वाली है / लेकिन उसके बाद कोई जानकारी नहीं मिली की फाइल खुली या नहीं / राजीव दीक्षित के बड़े भाई प्रदीप दीक्षित ने जो बातें मीडिया के द्वारा रखी उससे रामदेव की भूमिका निश्चित रूप से हत्यारे के रूप में चिन्हित होती है / जिन्होंने सैकड़ों लोगों के दबाव के बावजूद ना तो अपोलो में मौत के बाद पोस्टमार्टम कराया ना ही तो हरिद्वार में लाश को जलाने से पहले पोस्टमार्टम कराया गया / जबकि इस संबंध में स्वयं राजीव दीक्षित के बड़े भाई ने भी रामदेव से पोस्टमार्टम करवाने की मांग की थी साथ ही रामदेव एवं राजीव दीक्षित के संस्था से जुड़े 50 से अधिक प्रमुख लोगों ने एक प्रार्थना पत्र भी रामदेव को सौंपा था
जिसमें उन लोगों ने कहा था कि उन्हें दीक्षित की लाश देखकर हत्या किए जाने की आशंका है / इसलिए सच को सामने लाने के लिए लाश का पोस्टमार्टम कराया जाए
पर रामदेव ने हिंदू धर्म की दुहाई देकर पोस्टमार्टम से इंकार कर दिया / देखने वाली बात होगी कि मोदी सरकार अपने प्रचारक रामदेव पर कार्यवाही का साहस जुटा पाएगी या फिर राजीव दीक्षित की मौत का रहस्य रहस्य ही बना रह जाएगा
इस सरकार से तो उम्मीद करना बेमानी है क्योंकि यह सरकार साधू सन्यासियों के चेहरे के पीछे छुपे शैतानों के बूते ही चल रही है
क्रांतिकारी विचारों वाला वो शख्स राजीव दीक्षित विवादास्पद मौत मर गया औऱ उसके महान विचारों का व्यापार कर अब रामदेव सबसे बड़ा व्यापारी बन गया
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